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मथुरा के बरसाने की ‘लट्ठमार होली’ के बारे में तो आप जानते ही होंगे। लेकिन दक्षिण भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां दशहरे के मौके पर लोग एक दूसरे को मारने के लिए जाते हैं। यह आंध्र प्रदेश के करनूल जिले के देवरागट्टू मंदिर है। जहां हर साल भक्त लाठियां, पत्थर लेकर पहुंचते हैं। सभी भक्त अधिक से अधिक लोगों को लहुलुहान करने के मकसद से आते हैं। यह अजीब परंपरा पिछले 100 सालों से चल रही है। ये परंपरा भगवान शंकर जी की ओर से राक्षसों का वध करने की घटना के तौर पर याद किया जाता है। इसे बन्नी महोत्सव के नाम से जाना जाता है।
आंध्र प्रदेश में काफी वक्त से बन्नी महोत्सव मनया जा रहा है। इस त्योहार का एक मात्र सिद्धांत है, मरो या मारो! त्योहार में लोग लाठियां लेकर मंदिर जाते हैं। एक दूसरे को सिर पर लाठी से मारते हैं। हर साल दशहरे की रात, सैकड़ों पुरुष कुरनूल के देवरागट्टू मंदिर जाते हैं। वो अपने साथ हाथों में लाठियां लिए रहते हैं। ताकि वो एक दूसरे के सिर पर मार सकें।
बन्नी महोत्सव का क्या है इतिहास
दरअसल, आंध्र प्रदेश के देवरागट्टू मंदिर में कई सालों से ये अनोखी परंपरा चली आ रही है। देवरागट्टू मंदिर में ये परंपरा जिसे स्थानीय लोग “लाठी पूजा” या “लाठी जुलूस” भी कहते हैं। हर साल दशहरे के दिन मनाई जाती है। यह परंपरा रात से शुरू होती है और सुबह तक चलती है। इस दौरान भक्तगण एक दूसरे पर लाठियों से हमला करते हैं। जिससे कई लोगों के सिर से तो खून की धार बहने लगती है। यह सीन देखकर किसी का भी दिल दहल सकता है, लेकिन यहां यह परंपरा श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बॉर्डर पर है।
भगवान और राक्षसों के बीच होता है युद्ध
देवी पार्वती (मलम्मा) की मूर्ति और भगवान शिव (माल्लेश्वरा स्वामी) की मूर्ति को पहाड़ी से नीचे लाया जाता है। पूजा और भगवान का कल्याणम करवाने के बाद उनकी मूर्ति को कपड़ो में बांधकर श्रद्धालु नीचे लाते हैं। कुछ श्रद्धालु उसके चारों ओर एक घेरा बना लेते हैं। जिससे मूर्ति को सुरक्षित रखा जा सके। बाकी लोग उस मूर्ति को चुराने की कोशिश करते हैं। मूर्तियों को बचाने के दौरान युद्ध होता है। श्रद्धालु अपने साथ मशाल लिए रहते हैं। जिससे वो मूर्ति की रक्षा कर सकें। इसी बीच में लाठियों का इस्तेमाल होता है।
मूर्ति छीनने के लिए एक दूसरे पर वार किया जाता है। नेरंकी गांव के लोग मूर्ति को बचाते हैं। वहीं कोठापेट और अन्य गांव के लोग उसे चुराने की कोशिश करते हैं। यह परंपरा 100 से साल से भी पुरानी है। इसमें कहा जाता है कि भगवान शंकर ने लाठी से राक्षसों पर हमला किया था। इस घटना की याद में आज भी यह परंपरा निभाई जाती है।
#WATCH Andhra Pradesh: People from five villages participated in age old Banni festival in Devaragattu village, Holagunda mandal of Kurnool district yesterday.They formed 2 groups to fight with wooden sticks as part of a traditional competition to claim the idol of a local deity pic.twitter.com/pdwL0xDc1i
— ANI (@ANI) October 9, 2019
मेडिकल टीम रहती है तैयार
जब इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, तब पुलिस और मेडिकल अटेंडेंट की तैनाती की जाती है। पुलिस बल की मौजूदगी यह ध्यान रखा जाता है कि लोगों को ज्यादा चोट न पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा बनी रहे। मेडिकल टीम चोटिल लोगों को फौरन इलाज करना शुरू कर देती है। भीड़ को काबू में रखने के लिए पुलिस लगाई जाती है।
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