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केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने का विरोध किया, क्योंकि परिणाम पहले ही घोषित हो चुके हैं। उन्होंने ये भी कहा कि परीक्षाओं के निष्पक्षता के लिए सिफारिशें देने के लिए एक पैनल बनाया है। सरकार ने तर्क दिया कि “अखिल भारतीय परीक्षा में बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा।”
सरकार ने ये भी जिक्र किया कि शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षा कराने के लिए प्रभावी उपायों का प्रस्ताव देने के लिए वर्तमान परीक्षा के बाद विशेषज्ञों की एक हाई लेवल कमेटी बनाई गई है।
समिति क्या करेगी?
सरकार के मुताबिक, समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी।
समिति के अध्यक्ष ISRO के पूर्व अध्यक्ष और IIT कानपुर के BoG के अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन हैं और ये दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
NTA ने भी दायर किया हलफनामा
केंद्र के बाद, शीर्ष अदालत में एक याचिका के जवाब में, NEET-UG परीक्षा आयोजित करने वाली नेशन टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से एक और हलफनामा दायर किया गया था।
इसमें कहा गया है कि लीक की कथित घटना/प्रयास का 5 मई को आयोजित पूरी परीक्षा के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि जांच एजेंसियों की ओर से इसमें शामिल पाए गए उम्मीदवारों की संख्या उपस्थित होने वाले कई उम्मीदवारों की तुलना में बहुत कम है।
हलफनामे में कहा गया है, “परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में प्रश्न पत्र का प्रयास करने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवार गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे।”
कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
एजेंसी ने कहा कि NEET-UG 2024 परीक्षा बिना किसी अवैध आचरण के पूरी तरह से निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ आयोजित की गई थी और “सामूहिक कदाचार” का दावा “पूरी तरह से निराधार, भ्रामक और किसी भी आधार का अभाव है।”
शीर्ष अदालत 8 जुलाई को कई याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है, जिसमें 5 मई को आयोजित परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली और इसे नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
पेपर लीक समेत अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच झड़पें हुईं।
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