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ब्रेंट ऑयल फ्यूचर्स दिसंबर 2021 के बाद पहली बार 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंच गया है। सप्लाई में तेजी, मांग को लेकर बढ़ रही चिंताओं और सट्टेबाजी संबंधी गतिविधियों की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। ग्लोबल बेंचमार्क में 10 सितंबर को 2.8 पर्सेंट की गिरावट रही। चीन और अमेरिका के निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों से इन दोनों देशों में तेल की मांग में गिरावट को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई हैं। दरअसल अमेरिका में कमजोर मैन्युफैक्चरिंग डेटा संभावित आर्थिक सुस्ती की तरफ इशारा कर रहा है। इसी तरह चीन में भी तेल खपत नहीं बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
अगले साल कच्चा तेल सरप्लस होने को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। दरअसल, तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपके (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) के बाहर भी तेल उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह से इन चिंताओं को बल मिला है। हालांकि, ओपेके+ गठबंधन ने अगले महीने से रोजाना 1,80,000 बैरल अतिरिक्त उत्पादन के प्लान टोल दिया है। इसके बावजूद कच्चे तेल में सुस्ती का रुझान जारी है।
इसके अलावा लीबिया में तेल उत्पादन पर विद्रोही सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने का भी सप्लाई पर असर होने की संभावना थी। इससे करीब 5 लाख बैरल रोजाना की सप्लाई बाधित होनी थी। हालांकि, जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया गया।
गोल्डमैन सैक्स ने अगस्त के आखिर में पेश किए गए एक नोट में भी चीन में तेल की खपत बड़ी मात्रा में घटने की बात कही थी। इन सब वजहों के चलते कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से लगातार गिरावट आ रही है।
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