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FAQ on Capital Gain Tax Changes: चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन को लेकर बड़े बदलाव का ऐलान किया। अब कोई कैपिटल गेन लॉन्ग टर्म का है या शॉर्ट टर्म का है, इसके लिए सिर्फ दो ही होल्डिंग पीरियड- 12 महीने और 24 महीने से ही फैसला होगा। इसके अलावा टैक्स की दरों को अधिकतर एसेट्स के लिए समान कर दिया गया है। बजट में इंडेक्सेशन के फायदे को खत्म कर दिया गया है। हालांकि लिस्टेड शेयरों और म्यूचुअल फंड जैसे एसेट्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के लिए 1 लाख रुपये की छूट सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है, और LTCG टैक्स अब 12.5 फीसदी है। इसके अलावा शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को 0.1 फीसदी से बढ़ाकर 0.2 फीसदी कर दिया गया है। अगर अभी भी नहीं समझ आ रहा है तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने FAQ जारी किया है जिसमें सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
पहला सवाल- कैपिटल गेन के टैक्सेशन में क्या बदलाव हुए हैं?
जवाब- कैपिटल गेन पर टैक्स सिस्टम को पांच पैरामीटर्स पर और सरल बनाया गया है। होल्डिंग पीरियड अब दो ही है यानी कि कैपिटल गैन शॉर्ट है या लॉन्ग, इसे सिर्फ एक साल और दो साल के होल्डिंग पीरियड से ही तय किया जाएगा। अधिकतर एसेट्स के लिए टैक्स की दरों को समान कर दिया गया है। कैलकुलेशन आसान करने के लिए इंडेक्सेशन को हटा दिया गया है और दरों को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। आवासीय और गैर-आवासीय के बीच फर्क को हटाया गया। रोल ओवर बेनेफिट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
दूसरा सवाल- टैक्स के नए प्रावधान कब से लागू होंगे या हो गई?
जवाब- कैपिटल गेन के नए प्रावधान 23 जुलाई, 2024 से लागू होंगे और 23 जुलाई, 2024 को या इसके बाद किए गए किसी भी ट्रांजैक्शन पर लागू होंगे।
तीसरा सवाल- होल्डिंग पीरियड को कैसे आसान बनाया गया है?
जवाब- पहले कुछ एसेट्स के लिए होल्डिंग तीन साल पूरा होने के बाद ही लॉन्ग टर्म गेन माना जाता था। हालांकि अब सिर्फ दो ही होल्डिंग पीरियड है- एक साल और दो साल। लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए एक साल ही है, जबकि बाकी एसेट्स के लिए दो साल तक होल्ड करने के बाद लॉन्ग टर्म हो जाएगा।
चौथा सवाल- होल्डिंग अवधि में बदलाव से किसे फायदा होगा?
जवाब- सभी लिस्टेड एसेट्स की होल्डिंग अवधि अब एक साल होगी। ऐसे में बिजनेस ट्रस्ट्स (ReITs, InVITs) के लिस्टेड यूनिट्स के लिए होल्डिंग अवधि 36 महीने से 12 महीने हो गई है। गोल्ड और अनलिस्टेड सिक्योरिटीज (अनलिस्टेड शेयरों के अलावा) की होल्डिंग अवधि भी 36 महीने से 24 महीने हो गई है।
पांचवां सवाल- अचल संपत्ति और अनलिस्टेड शेयरों की होल्डिंग अवधि क्या है?
जवाब- पहले की ही तरह अचल संपत्ति और अनलिस्टेड शेयरों की होल्डिंग अवधि 24 महीने है।
छठा सवाल- जिन कैपिटल एसेट्स पर STT देना होता है, उसमें क्या बदलाव हुआ है?
जवाब- लिस्टेड इक्विटी, इक्विटी-वाले म्यूचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट्स (सेक्शन 111ए) पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स रेट को 15 फीसदी से 20 फीसदी कर दिया गया है। वहीं इन एसेट्स के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (सेक्शन 112ए) पर टैक्स की दर को 10 फीसदी से 12.5 फीसदी कर दिया गया है।
सातवां सवाल- सेक्शन 112 ए के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की छूट लिमिट में कोई बदलाव हुआ है?
जवाब- बिल्कुल। पहले 1 लाख रुपए तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता था। अब यह 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है।
आठवां सवाल-बाकी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स को लेकर क्या बदलाव हुए?
जवाब- सेक्शन 112 के तहत सभी बाकी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर बिना इंडेक्सेशन के फायदे के टैक्स रेट को घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 20 फीसदी पर था और इंडेक्सेशन का फायदा भी था। इससे टैक्स का कैलकुलेशन आसान होगा।
नवां सवाल- इंडेक्सेशन हटाकर टैक्स की दर को 20 फीसदी से 12.5 फीसदी करने से किसे फायदा मिलेगा?
जवाब- अधिकतर मामलों में टैक्सपेयर्स को बड़ा फायदा मिलेगा। हालांकि जहां इनफ्लेशन की तुलना में गेन कम हुआ है, वहां कुछ मामले में फायदा सीमित हो सकता है।
दसवां सवाल- कैपिटल गेन्स पर रोल ओवर की सुविधा जारी रहेगी?
जवाब- रोल ओवर बेनेफिट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह पहले की ही तरह बना हुआ है।
ग्यारहवां सवाल- रोल ओवर बेनेफिट्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को किन एसेट्स में निवेश किया जा सकता है?
जवाब- रोल ओवर बेनेफिट्स के लिए टैक्सपेयर्स अपने मुनाफे को सेक्शन 54 या सेक्शन 54F के तहत घर या सेक्शन 54ईसी के तहत खास बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं। इससे जुड़ी पूरी डिटेल्स आईटी एक्ट के सेक्शन्स 54, 54B, 54D, 54EC, 54F, 54G में देख सकते हैं।
बारहवां सवाल- कितनी राशि तक रोल ओवर बेनेफिट मिल सकता है?
जवाब- 54ईसी बॉन्ड्स में 50 लाख रुपये तक के कैपिटल गेन को निवेश किया जा सकता है और बाकी मामलों में कुछ खास कंडीशन के साथ कैपिटल गेन को टैक्स से बाहर रखा गया है।
तेरहवां सवाल- इन बदलावों का ओवरऑल मतलब क्या है?
जवाब- किसी भी टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाने से कई फायदे हैं जैसे कि टैक्स कैलकुलेशन में आसानी होगी, फाइलिंग आसान होगी और रिकॉर्ड मेंटेन करना भी आसान होगा। इसके अलावा अलग-अलग एसेट्स के लिए अलग-अलग दर से टैक्स कैलकुलेट करने की झंझट खत्म होगी।
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