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अगर फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट पर विचार-विमर्श करने वाली विशेषज्ञ समिति, डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स को मार्केट से हटाने की सिफारिश करती है तो बाजार नियामक SEBI ऐसा करने के लिए तैयार है। यह बात SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने कही है। उन्होंने कहा कि यह एक रेगुलेटरी जोखिम है, जिसे मार्केट इकोसिस्टम समझता है। मनीकंट्रोल की ओर से जब बुच से पूछा गया कि क्या सेबी को ऐसा कोई कदम रिग्रेसिव स्टेप लगेगा जिससे ट्रेडिंग टर्नओवर में कमी आए, बुच ने कहा, “बिल्कुल नहीं”।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के बोर्ड की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुच ने F&O सेगमेंट में रेगुलेटर की चिंताओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए, खासकर तब जब हमने लोगों को इस सट्टा गतिविधि के लिए पैसे उधार लेते हुए सुना है।’
नहीं होगी कोई हिचकिचाहट
बुच ने इसके चलते लोगों के अपने घर खोने के उदाहरण भी दिए। इस संदर्भ में मनीकंट्रोल ने पूछा कि क्या निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेगुलेटर, डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स को बंद करने के लिए तैयार होगा। जवाब में बुच ने कहा कि ऐसा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी, अगर डेटा और तर्क उस कार्रवाई के साथ अलाइन होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स को मार्केट से हटाना जरूरी है, अगर ऐसा विशेषज्ञ समिति का मानना है और हम तर्क से सहमत हैं, तो क्यों नहीं?
हर बिजनेस मॉडल में रहता है रेगुलेटरी जोखिम
स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य पूंजी-बाजार से संबंधित कंपनियों पर वित्तीय प्रभावों के बारे में बुच ने कहा, “हां, निश्चित रूप से वित्तीय प्रभाव होंगे… लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, किसी भी बिजनेस मॉडल में रेगुलेटरी जोखिम होता है। आप फार्मा कंपनियों और बैंकरों से पूछें कि रेगुलेटरी जोखिम क्या है। यह एक वास्तविकता है, जो कारोबार का हिस्सा है और हर निवेशक को इसके बारे में सचेत होना चाहिए।” बुच ने कहा कि मार्केट इकोसिस्टम बहुत परिपक्व है, यह समझने के लिए कि ऐसे जोखिमों को स्वीकार किया जाना चाहिए। रेगुलेटरी जोखिम न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में कारोबारों का हिस्सा है और यह सभी क्षेत्रों के लिए सच है, न कि केवल पूंजी बाजार के लिए। उन्होंने कहा कि जहां भी रेगुलेशन है, वहां रेगुलेटरी जोखिम है।
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