बजट के बाद बदल सकता बाजार का नजरिया, IT शेयरों में रैली की उम्मीद : पुनीता कुमार सिन्हा

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मार्केट फंडामेंटल पर चर्चा के लिए आज सीएनबीसी-आवाज़ के साथ जुड़ी पैसिफिक पैराडाइम एडवाइजर्स (Pacific Paradigm Advisors) की फाउंडिंग पार्टनर पुनीता कुमार सिन्हा। आवाज़ से हुई बातचीत में पुनीता ने कहा कि इलेक्शन ने बाजार को डरा दिया था। लेकिन उसके बाद नई सरकार नीतियों की निरंतरता पर फोकस कर रही है। कुछ समय तक हो सकता है सरकार में स्थिरता बनी रहे। लेकिन आगे सरकार कैसे चलेगी ये समय बताएगा। ऐसे में बाजार कुछ समय के लिए पॉलिटिक्स पर ध्यान नहीं देगा। इस समय बाजार के लिए सबसे बड़ा इवेंट है बजट। इस बार का बजट इस सरकार के पिछले बजटों की तुलना में थोड़ा अलग रह सकता है।

बजट के बाद बदल सकता बाजार का नजरिया

पुनीता कुमार सिन्हा की राय है कि अब राजनीतिक हलचल की जगह बजट पर नजर रहेगी। इस बजट में कृषि और गांवों पर फोकस बढ़ सकता है। बजट के बाद बाजार का नजरिया बदल सकता है। अगर बजट में फिस्कल डिसिप्लिन में नरमी दिखती है तो बाजार में करेक्शन आ सकता है।

करेक्शन के इंतजार में विदेशी निवेशक

पुनीता ने कहा कि भारतीय बाजार अभी भी दूसरे बाजारों की तुलना में महंगे हैं। ऐसे में विदेशी निवेशक तुरंत तो भारत की तरफ रुख नहीं करेंगे। लेकिन वे किसी करेक्शन में भारत की तरफ फिर से रुख करेंगे। भारत का ग्रोथ स्टोरी लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी है ऐसे में करेक्शन में विदेशी निवेशक भारत की तरफ रुख करेंगे। विदेशी निवेशकों को भारत में महंगे वैल्यूएशन पर निवेश करने की कोई जल्दी नहीं है।

ग्लोबल मार्केट के संकेतों में ज्यादा बदलाव नहीं, IT शेयरों में रैली की उम्मीद

पुनीता कुमार का कहना है कि ग्लोबल मार्केट के संकेतों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। भारतीय बाजार के वैल्युएशन इमर्जिंग मार्केट से ज्यादा हैं। एसे में बाजार में FIIs के लौटने में थोड़ा समय लगेगा। उनका कहना है कि केमिकल शेयरों में मोमेंटम दिख रहा है। एग्री केमिकल में ज्यादा दम है। इस समय IT सेक्टर में बेहतर वैल्यू दिख रही है। आगे IT शेयरों में रैली की उम्मीद है।

प्राइवेट सेक्टर बैंक में आगे बढ़ सकता है एक्शन

पुनीता कुमार की राय है कि इंफ्रा सेक्टर पर सरकार का फोकस बना रहेगा। आगे प्राइवेट सेक्टर बैंक में एक्शन बढ़ सकता है। पुनीता को लंबी अवधि के नजरिए से प्राइवेट सेक्टर बैंक पसंद हैं। पुनीता का ये भी कहना है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों का ध्यान महंगाई पर है। US में 6-8 महीने में एक रेट कट संभव है।

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