मोदी 3.0 में लागू होगा ‘एक देश, एक चुनाव’, सूत्रों ने कहा- जनगणना की कवायद भी जल्द होगी शुरू – one nation one election will be implemented in modi 3 0 sources said census will also start soon

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भारतीय जनता पार्टी के नेतृ्त्व वाली NDA सरकार अपने कार्याकाल के दौरान ‘एक देश एक चुनाव’ लागू करेगी। सरकारी सूत्रों के हवाले से यह भी कहा कि जनगणना की कवायद जल्द ही शुरू होगी और चुनाव के बाद कम से कम समय में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक हकीकत होगी। उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से, इसे इसी कार्यकाल में लागू किया जाएगा।”

पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत करते हुए तर्क दिया था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधाएं पैदा करते हैं।

लाल किले से PM मोदी ने किया था आव्हान

मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था, “देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए आगे आना होगा।”

प्रधान मंत्री ने राजनीतिक दलों से “लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर देश की प्रगति सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर सामंजस्य बाकी कार्यकाल तक जारी रहेगा। ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में भाजपा की ओर से किए गए प्रमुख वादों में से एक है।

100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश 

इस साल मार्च में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले एक हाई लेवल पैनल ने पहले कदम आगे बढ़ाते हुए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई।

इसके अलावा विधि आयोग सरकार के तीनों स्तरों- लोकसभा, राज्य विधानसभाएं और स्थानीय निकाय जैसे नगर पालिकाएं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है।

कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय तया नहीं किया है। इसने पैनल की सिफारिशों के कार्यान्वयन को देखने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के निर्माण का प्रस्ताव दिया है।

पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से ज्यादातर को राज्य विधानसभाओं की ओर से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद की ओर से पारित करने की जरूरत होगी।

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