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पिछले 18-24 महीनों में रेलिगेयर के मौजूदा मैनेजमेंट और बर्मन फैमिली के बीच काफी विवाद देखने को मिला है। इस विवाद के बीच दोनों पक्षों की ओर से कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े उल्लंघनों को लेकर काफी गंभीर और तीखे आरोप लगाए गए हैं। एंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने 6 सितंबर को रेलिगेयर की एग्जिक्यूटिव चेयरपर्सन रश्मि सलूजा और अन्य के खिलाफ ठगी और आपराधिक साजिश के मामले में FIR दर्ज की थी।
रश्मि सलूजा ने सीएनबीसी-टीवी18 से खास बातचीत में ईसॉप्स (ESOPs) के जरिये अवैध तरीके से लाभ हासिल करने से इनकार किया है। उन्होंने इस बात को लेकर भी सवाल उठाया कि इस मुद्दे को ऐसे समय में क्यों उठाया जा रहा है, जब रेगिलेयर को टेकओवर करने के लिए बर्मन फैमिली की तरफ से ओपन ऑफर लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रेगिलेयर के दौर में उतार-चढ़ाव के कई चरण देखने को मिल चुके हैं और उनके खिलाफ लगाए आरोपों का कोई आधार नहीं है। कुछ दिनों पहले हुई ईडी की एफआईआर के मुताबिक, वैभव गवली नामक शख्स ने सलूजा के कहने पर बर्मन फैमिली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लगाए। ईडी के मुताबिक, गवली मुख्य तौर पर गवली ने मुख्य तौर पर रश्मि सलूजा के इशारों पर काम किया। यह भी आरोप है कि इस एफआईआर को दर्ज करने के लिए गवली को सलूजा 65,000 रुपये मिले।
इन आरोपों पर रश्मि सलूजा का कहना था कि यह मामला अदालत में है और एंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट इसकी जांच कर रहा है। जाहिर तौर पर सच सामने आएगा। सलूजा ने कहा कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था और वह पहले ही इस सिलसिले में बात कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वह स्टॉक एक्सचेंजों में यह स्पष्टीकरण दे चुकी हैं कि इस मामले का उनसे या उनके एंप्लॉयीज से कोई लेना-देना नहीं है और सच्चाई का पता लगाने के लिए वह पूरी तरह से सहयोगी करेंगी।
उन्होंने सफाई दी कि एफआईआर नवंबर में दर्ज कराई गई थी और ओपन ऑफर सितंबर में आया और अक्टूबर में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने तमाम चिंताओं पर बात की थी, लिहाजा इसमें किसी तरह की साजिश नजर नहीं आती। सलूजा ने कहा कि वह पहले भी जरूरी मामलों पर बात कर चुकी है और जांच में पूरी तरह से सहयोगी करेंगी, ताकि सच का पता लगाया जा सके।
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