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Interesting news: चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर काम करने का व्यापक अनुभव रखने वाले जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार (30 जून) को भारतीय थलसेना के 30वें प्रमुख के रूप में पदभार संभाल लिया। उन्होंने जनरल मनोज पांडे का स्थान लिया है। वहीं, एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी इस वक्त नौसेना प्रमुख हैं। एडमिरल दिनेश त्रिपाठी 30 अप्रैल से ही नौसेना के प्रमुख हैं। एक दुर्लभ संयोग में और वास्तव में भारतीय सैन्य इतिहास में ऐसा पहला अवसर आया है, जब दो सहपाठी एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और जनरल उपेंद्र द्विवेदी भारतीय नौसेना और भारतीय थल सेना के प्रमुख बने हैं।
त्रिपाठी और द्विवेदी ने 1970 के दशक में एक साथ मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी। दोनों सैन्य अधिकारी 1970 के दशक की शुरुआत में कक्षा 5वीं-A में स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। खास बात ये है कि इन दोनों अधिकारियों का रोल नंबर भी आसपास ही था।
दोनों बचपन के क्लासमेट रह चुके हैं। यह अजीब सुनहरा इत्तेफाक है कि आज इतने सालों बाद दोनों एक साथ भारतीय सेना के इतने बड़े पद पर एक साथ पहुंचे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी का रोल नंबर 931, जबकि एडमिरल त्रिपाठी का 938 था।
एक महीने के अंदर दोनों ने संभाली कमान
एडमिरल त्रिपाठी ने 1 मई को भारतीय नौसेना की कमान संभाली, जबकि जनरल द्विवेदी को 1 जून को कार्यभार संभालना था। द्विवेदी को एक महीने तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि मौजूदा सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को एक महीने का विस्तार दिया गया था। जनरल पांडे से पहले केवल फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और जनरल जीजी बेवूर को 1971 के भारत-पाक युद्ध के कारण विस्तार दिया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि जनरल बेवूर को 1975 में विस्तार दिया गया था, क्योंकि इंदिरा गांधी के तहत तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व जनरल पीएस भगत को सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त नहीं करना चाहता था। सैनिक स्कूल रीवा और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला के पूर्व छात्र जनरल द्विवेदी और एडमिरल त्रिपाठी क्रमशः 15 दिसंबर, 1984 और 1 जुलाई, 1985 को अपनी-अपनी सेवाओं में कमीशन किए गए थे।
जनरल द्विवेदी की तरह उनके सहपाठी एडमिरल त्रिपाठी ने भी भारतीय नौसेना के उप प्रमुख के रूप में कार्य किया। जनरल द्विवेदी ऐसे समय में सेना प्रमुख बने हैं जब भारत, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित अनेक सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
जनरल द्विवेदी 19 फरवरी को सेना के उप प्रमुख का कार्यभार संभालने से पहले 2022-2024 तक उत्तरी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ रहे थे। रीवा स्थित सैनिक स्कूल के छात्र रहे जनरल द्विवेदी 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की 18जम्मू कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे।
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उन्होंने बाद में इस इकाई की कमान भी संभाली थी। जनरल द्विवेदी को सेना की उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी कमान में विभिन्न अभियानों में काम करने का व्यापक अनुभव है। थलसेना ने कहा कि राष्ट्र के समक्ष उभरते सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के वास्ते अभियानगत तैयारी सेना प्रमुख के लिए काफी महत्वपूर्ण कार्य होगा।
रक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने X पर शनिवार को एक पोस्ट में कहा, “भारतीय सैन्य इतिहास में पहली बार नौसेना और सेना के प्रमुख एक ही स्कूल से हैं। दो प्रतिभाशाली छात्रों को प्रशिक्षित करने का यह दुर्लभ सम्मान, जो 50 साल बाद अपनी-अपनी सेनाओं का नेतृत्व करेंगे, मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल को जाता है। दोनों सहपाठियों की नियुक्तियां भी लगभग एक ही समय, अर्थात लगभग दो महीने के अंतराल पर हुई हैं। एडमिरल ने 1 मई को भारतीय नौसेना की कमान संभाली थी, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी कल 30 जून को नए थल सेनाध्यक्ष का पदभार संभालेंगे।” दोनों सैन्य अधिकारी अपने लंबे और आसाधारण करियर में विभिन्न पदों पर रहे।
For the first time in Indian Military history, Chiefs of Navy and Army hail from the same school. This rare honour of nurturing two prodigious students, who would go on to lead their respective Services 50 years later, goes to Sainik School, Rewa in Madhya Pradesh. (1/2) pic.twitter.com/52FMCO01qM
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) June 29, 2024
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