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आईटी कंपनी इंफोसिस ने 1 अगस्त को बताया कि कर्नाटक सरकार ने कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है, जो उसे एक दिन पहले मिला था। साथ ही, उसे यह निर्देश दिया गया है कि इस मामले में वह डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस (DGGI) को जवाब सौंपे। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस को 31 जुलाई को कथित टैक्स चोरी के मामले में DGGI से 32,000 करोड़ रुपये का नोटिस मिला था।
इंफोसिस की तरफ से 1 अगस्त को जारी बयान में कहा गया है, ‘कंपनी को कर्नाटक सरकार से चिट्ठी मिली है, जिसमें प्री-शो कॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) को वापस लेने की बात कही गई है। साथ ही, कंपनी को इस मामले में DGGI सेंट्रल अथॉरिटी को आगे जवाब देने को कहा गया है।’ इंफोसिस को टैक्स डिमांड सौंपे जाने के बाद इस पर काफी प्रतिक्रिया सामने आई थी, क्योंकि इंफोसिस को गवर्नेंस के मामले में बेहतर कंपनी माना जाता है।
इंफोसिस ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि उसने सभी टैक्स का भुगतान किया है और DGGI जिन खर्चों की बात कर रहा है, उस पर GST लागू नहीं है। कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया, ‘ इंफोसिस ने सभी बकाया GST का भुगतान कर दिया है और उसने इस मामले में केंद्र और राज्यों के सभी नियमों का पालन किया है।’
इंफोसिस को नोटिस मिलने पर कंपनी के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिस मोहनदास पाई ने सख्त प्रतिक्रिया जताई थी। उन्होंने इसे ‘टैक्स आतंकवाद’ करार दिया था। उन्होंने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था, ‘ इस मामले में वित्त मंत्रालय को तत्काल दखल देना चाहिए। इस तरह का टैक्स आतंकवाद भारत में निवेश पर बुरा असर डालेगा।
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