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भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच नई जानकारी सामने आई है। अब पूजा खेडकर के सर्टिफिकेट का सच भी सामने आ गया है। श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज और जनरल अस्पताल के डायरेक्टर ने पूजा के सर्टिफिकेट्स को लेकर सच्चाई बताई है।
श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज एवं जनरल हॉस्पिटल के डायरेक्टर अरविंद भोरे ने बताया की पूजा ने 2007 में दाखिला लिया था। उन्हें सीईटी के माध्यम से प्रवेश मिला था, जहां उन्होंने आरक्षण के कुछ प्रमाण पत्र दिए थे। उन्होंने जाति प्रमाण पत्र, जाति वैधता और गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र पेश किया था। उन्होंने मेडिकल फिटनेस का सर्टिफिकेट भी पेश किया था, जिसमें किसी विकलांगता का जिक्र नहीं है।
पूजा पर आरोप है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने जाने के लिए उन्होंने दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे का गलत इस्तेमाल किया। वहीं पूजा खेडकर के पिता ने उनका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी।
इससे पहले अहमदनगर जिला सिविल अस्पताल के अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि अस्पताल ने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को दो बार विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया था। अस्पताल ने कहा कि उन्हें एक बार 2018 में और फिर 2021 में यह प्रमाण पत्र जारी किया गया। प्रमाण पत्र दो अलग-अलग समितियों ने जारी किए।
जिला सिविल सर्जन डॉ. संजय घोगरे ने बताया था कि एक समिति ने 25 अप्रैल, 2018 को कम दृष्टि के लिए खेडकर को पहला विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया था। दूसरी ने 19 जनवरी, 2021 को कई विकलांगताओं के लिए दूसरा प्रमाण पत्र जारी किया था। उन्होंने कहा कि दूसरे प्रमाण पत्र में कम दृष्टि और मानसिक बीमारी (अवसाद) दोनों शामिल थे। उन्होंने कहा कि आवेदक की विकलांगता की स्थिति की पुष्टि के लिए दो या तीन सदस्यीय पैनल नियुक्त किए गए थे।
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