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लोकसभा चुनाव से पहले कड़वाहट के बाद ममता बनर्जी अब ये संकेत में देने में लगी हैं कि तृणमूल कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के बीच सब कुछ ठीक है। तभी तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए प्रचार करने के लिए तैयार हैं, जो वायनाड से अपने चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत करने जा रही हैं। राहुल गांधी की तरफ से सीट खाली करने और परिवार के गढ़ रायबरेली को बरकरार रखने के फैसले के बाद, प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी। हाल ही में हुए आम चुनावों में राहुल ने वायनाड से 3.6 लाख वोटों के अंतर से दूसरी बार जीत हासिल की थी।
NDTV ने तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से कहा ममता बनर्जी न केवल प्रियंका गांधी के लिए प्रचार करना चाहती हैं, बल्कि उन्होंने पिछले दिसंबर में इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान भी ये सुझाव दिया था कि प्रियंका को वाराणसी से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए।
अधीर रंजन थे नाराजगी का बड़ा कारण?
ममता और कांग्रेस के बीच फिर से जिंदा हुई दोस्ती के पीछे का एक कारण ये तथ्य है कि बंगाल की मुख्यमंत्री के सबसे मजबूत आलोचकों में से एक अधीर रंजन चौधरी लगातार पांच जीत के बाद इन चुनावों में बहरामपुर लोकसभा सीट से हार गए हैं।
गुरुवार को उन्होंने बंगाल कांग्रेस यूनिट के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया, लेकिन इस्तीफा स्वीकार किया गया है या नहीं, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
ममता बनर्जी और गांधी परिवार के बीच करीबी संबंध रहे हैं, लेकिन अधीर रंजन के मुख्यमंत्री पर तीखे और अक्सर व्यक्तिगत बयानों ने तृणमूल और कांग्रेस के बीच एक गहरी खाई बना दी थी। हालांकि, रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा “अधीर का मुद्दा” अब सुलझ गया है और तृणमूल ने कांग्रेस से कहा है कि वो अपनी सीट हार जाएंगे।
बेहतर समन्वय की मांग
सूत्रों ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ने इंडिया गठबंधन के सदस्यों के बीच बेहतर समन्वय की भी मांग की है, जिन्होंने 232 लोकसभा सीटें जीती हैं।
ऐसा होने के संकेत पहले ही मिलने शुरू हो गए हैं, तृणमूल, कांग्रेस और DMK तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय सुरक्षा अधिनियम के लागू होने का विरोध कर रहे हैं। ये तीन नए कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
विपक्ष ने दावा किया है कि पिछले साल संसद के मानसून सत्र के दौरान बिना बातचीत के कानून पारित किए गए थे, जब 140 से ज्यादा सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। शुक्रवार को प्रधान मंत्री को लिखे एक पत्र में, ममता बनर्जी ने संसद की ओर से कानूनों की नए सिरे से समीक्षा पर जोर दिया।
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