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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से म्यूल अकाउंट्स (Mule Accounts) पर लगाम लगाने की अपील की है। दास ने आज 3 जुलाई को मुंबई में पब्लिक सेक्टर और चुनिंदा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के MD और CEO के साथ बैठक की। मीटिंग के दौरान उन्होंने डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ ग्राहकों के बीच जागरूकता और शैक्षिक पहल को भी बढ़ाने के लिए भी कहा। दास ने बैंकों को मजबूत साइबर सिक्योरिटी कंट्रोल सुनिश्चित करने और थर्ड पार्टी रिस्क को प्रभावी तरीके से मैनेज करने की जरूरत पर भी बल दिया।
RBI की बैठक में इन अहम मुद्दों पर भी हुई चर्चा
RBI ने बताया कि बैठक में क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच लगातार अंतर, लिक्विडिटी रिस्क मैनेजमेंट, ALM से संबंधित मुद्दे, अनसिक्योर्ड रिटेल लेंडिंग में रुझान, साइबर सिक्योरिटी, थर्ड पार्टी रिस्क और डिजिटल फ्रॉड जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
बैठक में एश्योरेंस फंक्शन को मजबूत करने, MSME को क्रेडिट फ्लो, क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्शन के लिए भारतीय रुपये का उपयोग बढ़ाने और रिजर्व बैंक की इनोवेशन इनिशिएटिव में बैंकों की भागीदारी पर भी चर्चा हुई। दास ने बैंकों में गवर्नेंस स्टैंडर्ड, रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिसेज और कंप्लायंस कल्चर को और मजबूत करने की अहमियत पर भी बात की।
Mule Accounts क्या होता है?
म्यूल अकाउंट का मतलब ऐसे अकाउंट से है, जिसे ओपन एक व्यक्ति करता है लेकिन ऑपरेट दूसरा व्यक्ति करता है। ऐसे अकाउंट्स का इस्तेमाल अक्सर मनी लाउंड्रिंग या टैक्स चोरी के लिए होता है। म्यूल अकाउंट एक बैंक अकाउंट या एक डीमैट अकाउंट हो सकता है, जिसमें शेयर रखे जाते हैं। रेगुलेटर्स के सख्त नियम है कि हर बैंक या डीमैंट अकाउट को ऑपरेट करने का अधिकार सिर्फ उस व्यक्ति के पास है, जिसके नाम पर उसे खोला गया है। इसका मतलब है कि अकाउंट ओपन करने के लिए जिस व्यक्ति का KYC हुआ है वही इसका इस्तेमाल कर सकता है।
म्यूल अकाउंट्स कई नियमों का उल्लंघन करते हैं और उन पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। साथ ही, टैक्स कानूनों के तहत ऐसी व्यवस्थाएं अवैध हैं। यहां तक कि सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों में भी कहा गया है कि ऐसे अकाउंट्स का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
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