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जून तिमाही में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) का कैपिटल एक्सपेंडिचर क्रमशः 8,500 करोड़ रुपये और 8,000 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2024-25 में सरकारी ऑयल कंपनियों का कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर टारगेट 1,18,500 करोड़ रुपये तय किया गया है। इन कंपनियों ने अप्रैल-जून तिमाही में इस मद में 26,500 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इन कंपनियों के सालाना टारगेट का 22 पर्सेंट है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (21%), गेल (19%), ऑयल इंडिया (18%) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (12%) ने कैपिटल एक्सपेंडिचर खर्च करने में थोड़ी सुस्ती दिखाई, जिससे कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकारी ऑयल कंपनियों का औसत खर्च कम रहा। इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम जैसी रिफाइनिंग कंपनियां पेट्रोकेमिकल और बायोफ्यूल के विस्तार आदि से जुड़े विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर खर्च कर रही हैं।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम के निवेश का बड़ा हिस्सा बाड़मेर की ग्रीनफील्ड रिफाइनरी पर खर्च हो रहा है, जहां लागत काफी बढ़ गई है। ONGC और ऑयल इंडिया मुख्य तौर पर एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन पर खर्च करती हैं। अप्रैल-जून तिमाही में हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने कैपिटल एक्सपेंडिचर के तहत 2,680 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि इस दौरान भारत पेट्रोलियम का यह खर्च 1,600 करोड़ रकुपये रहा। गेल ने 1,500 करोड़ रुपये और ऑयल इंडिया ने 1,200 करोड़ रुपये खर्च किए।
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