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Economic Survey 2023-24: देश के वित्तीय क्षेत्र के लिए आउटलुक ब्राइट है, लेकिन उसे झटकों के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इसकी वजह है कि भारत इस स्तर पर अर्थव्यवस्था के ओवर-फाइनेंशियलाइजेशन को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह बात 22 जुलाई को संसद में पेश आर्थिक सर्वे 2023-24 में कही गई। सर्वे में कहा गया है कि देश का वित्तीय क्षेत्र तेजी के रास्ते पर है। कर्ज के लिए बैंक पर निर्भरता कम हो रही है और पूंजी बाजार की भूमिका बढ़ रही है। भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में इस बदलाव का लंबे वक्त से बदलाव किया जा रहा है और यह स्वागतयोग्य है।
सर्वे में कहा गया है, ‘‘हालांकि, पूंजी बाजार पर निर्भरता और उसके इस्तेमाल की अपनी चुनौतियां भी हैं। ऐसे समय जब भारत का वित्तीय क्षेत्र इस महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, उसे झटकों के लिए भी तैयार रहना होगा। साथ ही जरूरी हस्तक्षेप और जोखिम से बचाव को लेकर रेगुलेटरी और सरकारी नीतियों के साथ स्वयं को तैयार भी रखना होगा।’’
मजबूत बही-खाते, निजी निवेश को देंगे मजबूती
इकोनॉमिक सर्वे 2024 में कहा गया है, ‘आने वाले समय में कंपनियों और बैंकों के मजबूत बही-खाते, निजी निवेश को और मजबूत करेंगे। आवासीय रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक रुझान से संकेत मिलता है कि परिवारों के स्तर पर पूंजी निर्माण काफी बढ़ रहा है। भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय क्षेत्र को बैंकिंग क्षेत्र को सपोर्ट करने और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक पूंजी की कमी को पूरा करने की जरूरत है। इसलिए वित्तीय क्षेत्र को ऐसी गति से विस्तार करना चाहिए, जो आर्थिक विकास के साथ तालमेल बिठा सके। भारत अपने वर्तमान विकास चरण में अर्थव्यवस्था के ओवर फाइनेंशियलाइजेशन को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।’
MSMEs में ट्रेड, बिजनेस, निवेश को बढ़ावा दे वित्तीय क्षेत्र
सर्वे के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र को पूंजी निर्माण का सपोर्ट करने और MSMEs (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) में ट्रेड, बिजनेस और निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि उन्हें बड़े पैमाने का बनाया जा सके। आगे कहा गया कि चूंकि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है, इसलिए यह जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर वित्तीय मध्यस्थता की लागत में कमी आए।
सेक्टर को बीमा सुरक्षा और रिटायरमेंट सिक्योरिटी उपलब्ध कराने की भी जरूरत
सर्वे में कहा गया है, ‘‘वित्तीय क्षेत्र को सभी नागरिकों को बीमा सुरक्षा और रिटायरमेंट सिक्योरिटी प्रदान करने की भी जरूरत है। देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बीमा की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत और पेंशन फंड एसेट्स की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है। वहीं अमेरिका में यह क्रमश: 52 प्रतिशत और 122 प्रतिशत है। ब्रिटेन में यह 112 प्रतिशत और 80 प्रतिशत है। यानी इसमें आगे सुधार की काफी गुंजाइश है।’’ सर्वे में सिफारिश की गई है कि वित्तीय क्षेत्र की सार्वजनिक और निजी कंपनियों को ग्राहक-केंद्रित बनना होगा। इसके बिना, कोई भी आंकड़े बेमानी हैं।
आने वाले वर्षों में अगला बड़ा कदम आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस/मशीन लर्निंग (AI/ML), डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आदि की ओर होने की संभावना है। इनमें डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम को बाधित करने की बड़ी क्षमता है।
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