Daily Voice: हेक्सगॉन पार्टनर्स के तुषार प्रधान को इन सेक्टरों में है तेजी की उम्मीद, आपकी भी न चूके नजर – daily voice tushar pradhan of hexagon partners expects growth in these sectors you should also not miss it

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Market outlook : हेक्सगॉन पार्टनर्स एलएलपी के निदेशक तुषार प्रधान का कहना है कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग,डिस्क्रिशनरी और ग्रामीण खपत से जुड़े शेयर इस वित्त वर्ष के शेष बचे भाग के लिए इंटरमीडिएट नजरिए से बहुत आशाजनक दिख रहे हैं। उनका कहना है कि बाजार कई कारकों पर आधारित एक सामूहिक घटना है। इसलिए, इस समय इसे “थका हुआ” कहना जल्दबाजी होगी।

फार्मा शेयरों का वैल्यूएशन अच्छा

तुषार को निवेश प्रबंधन का 26 वर्षों का अनुभव है। उनका मानना ​​है कि फार्मा सेक्टर का मूल्यांकन इसके दीर्घकालिक औसत के अनुरूप है। विशेष रूप से अमेरिकी जेनेरिक्स में अर्निंग ग्रोथ मजबूत रहने की उम्मीद है। अमेरिकी जेनेरिक्स पर फोकस वाली कंपनियों के मार्जिन में बढ़त देखने को मिल सकती है।”

निफ्टी में यहां से 15-20 फीसदी तेजी की उम्मीद सही नहीं

बाजार पर बात करते हुए तुषार ने कहा कि निफ़्टी आईटी इंडेक्स ने पिछले 3 महीनों में (लगभग 17 प्रतिशत की बढ़त) और पिछले 6 महीनों में (लगभग 20 प्रतिशत की बढ़त) शानदार प्रदर्शन किया है। इस इंडेक्स में इस साल जून के निचले स्तर से 31 प्रतिशत की बढ़त हुई है। 10 शेयरों के इस इंडेक्स में शामिल दो दिग्गजों यानी इंफोसिस और टीसीएस में जोरदार तेजी रही है। इंफोसिस जून के निचले स्तर से 35 प्रतिशत की तेजी पर दिख रहा है। वहीं दो दूसरे दिग्गजों टीसीएस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज 18 प्रतिशत और 33 प्रतिशत की तेजी आई है। दिलचस्प बात यह है कि इन कंपनियों के लिए पी/ई में लगभग 7 अंकों का उछाल आया है, और अब वे पिछले 3 वर्षों के औसत की तुलना में प्रीमियम वैल्यूएशन पर कारोबार कर रही हैं।

निफ्टी को वर्तमान स्तरों से 15-20 प्रतिशत की तेजी दिखाने के लिए वर्तमान उच्च औसत पी/ई को मानते हुए भविष्य की आय ग्रोथ कम से कम अगली 4 तिमाहियों तक 20 प्रतिशत चक्रवृद्धि दर पर रखनी होगी। हालांकि मांग में उछाल बने रहने के संकेत हैं। लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था की संभावित मंदी और अनिश्चित राजनीतिक माहौल इस तेजी के माहौल में बाधा डाल सकते हैं। हमें दूसरे सेक्टरों में सेक्टर रोटेशन देखने को मिला है। ऐसे में इस समय निफ्टी में लगातार तेजी की उम्मीद करना वास्तविकता पर नहीं उम्मीदों पर आधारित लगता है।

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कच्चे तेल पर रहेगा दबाव

कच्चे तेल पर बात करते हुए तुषार में कहा कि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती हैं। अमेरिका में संभावित मंदी, आपूर्ति के गैर-ओपेक स्रोतों में इसका वितरण और मांग में कमी इसकी कीमतों में मौजूदा गिरावट का कारण बन रही है। मांग में निरंतर मंदी से निकट भविष्य में कीमतों में और भी गिरावट आनी चाहिए। चीन में जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट से भी कच्चे तेल की समग्र मांग पर दबाव रह सकता है। इस चलते इसकी कीमतें कुछ समय तक एक दायरे में रह सकती हैं।

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