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आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री के मामले में अहम जानकारी सामने आई है। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (डीआईपीएएम) के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय ने मनीकंट्रोल को बताया है कि आईडीबीआई बैंक के संभावित बिडर्स की जांच आरबीआई कर रहा है, जो अंतिम चरण में है। आईडीबीआई बैंक में अभी केंद्र सरकार की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें एलआईसी की 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार और एलआईसी दोनों मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.7 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं।
24 जुलाई को आईडीबीआई बैंक के शेयरों में तेजी देखने को मिली। दोपहर करीब 2 बजे शेयर का प्राइस 10.90 फीसदी चढ़कर 95.70 रुपये पर चल रहा था। बीते एक साल में यह शेयर 64 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है, जबकि इस साल यह 41 फीसदी चढ़ चुका है। पांडेय ने मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में 23 जुलाई को कहा कि बिडर्स की जांच में थोड़ा समय लग रहा है। इसके बाद ड्यू डिलिजेंस होगा। आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए आरबीआई का एप्रूवल जरूरी है। केंद्रीय बैंक संभावित बिडर्स की जांच के बाद अपना एप्रूवल देगा।
आईडीबीआई बैंक के लिए बोली लगाने के लिए बोलीदाता का नेटवर्थ कम से कम 22,500 करोड़ रुपये होना चाहिए। साथ ही पिछले पांच साल में से तीन साल में उसका प्रॉफिट में होना जरूरी है। RBI ने संभावित बोलीदाताओं की जांच का काम अप्रैल में शुरू किया था। इसे ‘फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया’ भी कहा जाता है। आईडीबीआई बैंक के लिए शुरुआती बोली लगाने वालों में Kotak Mahindra Bank, CSB Bank और Emirates NBD शामिल हैं। सीएसबी बैंक में प्रेम वत्स का निवेश है।
सरकार ने 2023-24 के लिए विनिवेश के लिए 51,000 करोड़ रुपये का टारगेट रखा था। इसमें आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने का प्लान शामिल था। आईडीबीआई बैंक ने 22 जुलाई को पहली तिमाही के नतीजों का ऐलान किया। बैंक का प्रॉफिट इस दौरान 4 फीसदी बढ़ा है।
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