Kanwar Yatra 2024: ‘नेम प्लेट’ मामले में SC का अंतरिम रोक का आदेश बरकरार, अपनी मर्जी से दुकानदार लिख सकते हैं नाम – kanwar yatra nameplates controversy supreme court interim order staying up diktat for eateries

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Kanwar Yatra And Nameplates: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट्स पर ढाबों-दुकानों के ‘नेम प्लेट’ विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों के उस फैसले पर अंतरिक रोक लगी रहेगी, जिसके तहत कांवड़ यात्रा रूट्स पर स्थित होटलो से मालिकों का नाम लिखने को कहा गया था। दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने के आदेश पर रोक के संबंध में शीर्ष अदालत ने कहा, “22 जुलाई के आदेश में जो कहा जाना चाहिए था, हमने वह कह दिया है। किसी को भी नाम बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।”

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के दुकानदारों को नाम लिखने के आदेश पर रोक लगाने के 22 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करने से इनकार कर दिया। न्यूज 18 के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेम प्लेट के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अपनी मर्जी से दुकानदार अपना नाम लिख सकते हैं, लेकिन किसी के दवाब में नहीं लिखा जाएगा।

जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि वह 22 जुलाई के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करेगी, क्योंकि हमने अपने 22 जुलाई के आदेश में जो कुछ कहा जाना था, वह कह दिया है। हम किसी को नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।

पीठ ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से उनके संबंधित निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकारों के जवाबों पर जवाब दाखिल करने की अनुमति दी और मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त के लिए तय की।

यूपी सरकार ने फैसले का किया बचाव

अपने जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों को उनके मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना, संभावित भ्रम से बचना और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

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यूपी सरकार ने कहा, “कांवड़िए सख्त शाकाहारी, सात्विक आहार का पालन करते हैं, प्याज, लहसुन और सभी अन्य तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं।” अदालत ने इन निर्देशों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की समीक्षा की, जिनमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, शिक्षाविद अपूर्वानंद झा, स्तंभकार आकार पटेल और एनजीओ एसोसिएशन ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिकाएं शामिल हैं। कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से 6 अगस्त तक चलती है।

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