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मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स का शेयर 3 जुलाई को 8.20 पर्सेंट की बढ़त के साथ 4,684.55 रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। कंपनी का मार्केट कैपिटल 1 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। यह स्टॉक पहले ही 2024 में 101% की बढ़त के साथ डबल हो चुका है। पिछले 12 महीने में कंपनी के स्टॉक में तीन गुना से ज्यादा की बढ़त रही है और यह 250% से भी ऊपर पहुंच चुका है।
शेयर मार्केट में मझगांव डॉक की एंट्री अक्टूबर 2020 में हुई थी और इसका IPO प्राइस 145 रुपये प्रति शेयर था। लिस्टिंग के बाद यानी 4 साल से भी कम में कंपनी का शेयर IPO प्राइस के मुकाबले 3,000 पर्सेंट से भी ज्यादा बढ़त बना चुका है। मझगांव डॉक सरकारी कंपनी है और इसमें सरकार का कंट्रोलिंग स्टेक है। मनीकंट्रोल (Moneycontrol) ने हाल में खबर दी थी कि सरकार चुनिंदा सरकारी कंपनियों में छोटी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है और इस लिस्ट में मझगांव डॉक भी शामिल है। मनीकंट्रोल ने सीनियर सरकारी अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी थी।
मार्च तिमाही के मुताबिक, मझगांव डॉक में सरकार की हिस्सेदारी 84.8 पर्सेंट है। मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन करने के लिए सरकार को अपनी 9.8 पर्सेंट हिस्सेदारी बेचनी होगी। मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नॉर्म के तहत कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 75% करना होगा। बहरहाल, सरकार इस पब्लिक सेक्टर यूनिट (PSU) में फिलहाल कितनी हिस्सेदारी बेचेगी, इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मझगांव डॉक में स्टेक सेल के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ पिछले साल से ही बातचीत चल रही है। हालांकि, डिफेंस मिनिस्ट्री को ऑफर फॉर सेल (OFS) को लेकर कुछ आपत्ति है और इसे गतिरोध को दूर करने की कोशिश की जा रही है। अगर सरकार 9.8% हिस्सेदारी बेचती है, तो सरकार को 1.97 करोड़ शेयरों की बिक्री करनी होगी।
अगर 3 जुलाई के क्लोजिंग प्राइस के हिसाब से बात करें, तो 9.8 पर्सेंट हिस्सेदारी की बिक्री के जरिये कंपनी को तकरीबन 9,200 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
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