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CBI ने NEET-UG में कथित धांधली के पांच नए मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली है। इनकी जांच गुजरात, राजस्थान और बिहार की पुलिस कर रही थी। केंद्रीय एजेंसी ने गुजरात और बिहार से एक-एक केस और राजस्थान से तीन मामलों को अपनी FIR में दर्ज किया और महाराष्ट्र के लातूर से एक और केस अपने हाथ में ले सकती है। नए मामलों के साथ, CBI अब NEET-UG में कथित अनियमितताओं से जुड़े कुल छह मामलों की जांच कर रही है।
जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने अभी तक NEET-UG में कोई जांच शुरू नहीं की है। उसने मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की जांच के लिए तीन राज्यों – पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड में दूसरे पेपर लीक और OMR शीट हेरफेर से जुड़े कम से कम आठ मामले अपने हाथ में लिए हैं।
आइए अब तक राज्यों से सामने आए NEET-UG 2024 पेपर लीक और धोखाधड़ी के मामलों पर एक नजर डालते हैं, और देखते हैं कि उनकी जांच कैसे आगे बढ़ रही है।
बिहार में ‘अंकल’ ने कराया पेपर लीक
NEET-UG 2024 पेपर लीक का सबसे चौंकाने मामला विवरण बिहार से सामने आया है, जहां पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने मुख्य संदिग्ध सिकंदर यादवेंदु, उसके सहयोगियों, कुछ उम्मीदवारों और उनके माता-पिता सहित कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया है।
मुख्य संदिग्ध कौन हैं?
सबसे चौंकाने वाला खुलासा, चार आरोपियों – सिकंदर यादवेंदु, उसके भतीजे अनुराग यादव, और बिचौलिए नीतीश कुमार और अमित आनंद ने किया। उन्होंने पुलिस को दिए गए कथित बयानों में बताया कि कैसे चार उम्मीदवारों को परीक्षा से एक दिन पहले ही प्रश्न पत्र दिए गए और उत्तर याद करने के लिए कहा गया था। हर एक कैंडिडेट से 40 लाख रुपए लिए गए थे।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार में मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के प्रश्नपत्र के पीछे किसका दिमाग है? बिहार पुलिस के सूत्रों ने News18 को बताया कि अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ में रैकेट के कथित मास्टरमाइंड संजीव ‘मुखिया’ का नाम सामने आया है, जो अभी भी फरार है।
उसका वास्तविक नाम संजीव सिंह बताया जाता है और उसकी पत्नी ममता देवी को भुतखार पंचायत का ‘मुखिया’ चुना गया था, जिसके बाद संजीव को भी ‘मुखिया’ कहा जाने लगा।
बताया जाता है कि पेशे से डॉक्टर संजीव का बेटा भी बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में कथित संलिप्तता के लिए फिलहाल जेल में है। कथित तौर पर, पिता-पुत्र की जोड़ी ‘मुखिया सॉल्वर गैंग’ का हिस्सा है, ये एक कुख्यात ग्रुप है, जिसके बारे में माना जाता है कि ये परीक्षा धोखाधड़ी में शामिल है।
बिहार के नालंदा जिले के नगरसौना का रहने वाला संजीव ‘मुखिया’ नालन्दा कॉलेज की नूरसराय ब्रांच में टेक्निकल असिस्टेंट हैं। पहले सबौर कृषि महाविद्यालय में तैनात थे, इसी तरह के पेपर लीक कांड में फंसने के बाद उसे नूरसराय ट्रांसफर कर दिया गया था। 2016 में उत्तराखंड पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। वो 6 मई, 2024 से फरार है और उसने अपने वकील के जरिए अग्रिम जमानत के लिए पटना सदर के ACGM 9 कोर्ट में आवेदन किया है।
कैसे की धोखाधड़ी?
जांच में शामिल पुलिस अधिकारियों ने News18 को बताया कि गिरोह ने उम्मीदवारों से 30 से 50 लाख रुपए वसूले और उन्हें पटना के छोटे लॉज में ठहराया, जहां छात्रों को याद करने के लिए प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाते थे।
बिचौलिए अमित आनंद ने कथित तौर पर पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि वो और उसके साथी परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को लीक हुए प्रश्न पत्र और उनके जवाब मुहैया कराते थे। अभ्यर्थियों को रात भर प्रश्न और उत्तर याद कराए गए।
पुलिस को दिए अपने इकबालिया बयान में आनंद ने कथित तौर पर माना कि उसका गिरोह हर उम्मीदवार से 32 लाख रुपए तक वसूलता था। आनंद के बयान की पुष्टि आयुष कुमार के कथित कबूलनामे से हुई, जिसने DAV स्कूल में NEET-UG परीक्षा दी और बाद में उसे केंद्र से हिरासत में लिया गया था।
अपने बयान में, दानापुर टाउन काउंसिल के एक जूनियर इंजीनियर, सिकंदर प्रसाद यादवेन्दु ने कथित तौर पर अपने भतीजे अनुराग यादव समेत चार उम्मीदवारों को बिचौलियों से मिलवाने की बात कबूल की। उसने कथित तौर पर लड़कों से प्रति व्यक्ति 40 लाख रुपए वसूलने की बात भी कबूल की।
महाराष्ट्र का हेड मास्टर
NEET-UG पेपर लीक घोटाले की जांच इस हफ्ते महाराष्ट्र तक पहुंच गई, जब ATS ने लातूर से एक जिला परिषद स्कूल के हेडमास्टर को गिरफ्तार किया और एक शिक्षक को हिरासत में लिया। ये सामने आया कि कम से कम चार लोग पैसे लेकर NEET के छात्रों की मदद करने के लिए एक रैकेट चलाते थे। परीक्षा पास करने के लिए पैसे दें।
कैसे की धोखाधड़ी?
शुरुआत तौर पर, कोंगलवार एक बिचौलिय के रूप में काम करता था, जो दो शिक्षकों – जलील खान उमर खान पठान और संजय जाधव से NEET उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड लेता था।
एक अधिकारी ने बताया, “कार्ड इकट्ठा करने के बाद, गंगाधर को 50,000 रुपये का एडवांस पेमेंट किया जाता था और एडमिट कार्ड उसे भेज दिए जाते थे। डील आम तौर पर 5 लाख रुपए (पेपर लीक की सुविधा के लिए प्रति छात्र) पर तय होती थी।” मराठवाड़ा के धाराशिव जिले के उमरगा में एक ITI में तैनात कोनागलवार, गंगाधर के संपर्क में था।
राजस्थान में प्रॉक्सी कैंडिडेट
राजस्थान में NEET-UG परीक्षा लिखने के लिए प्रॉक्सी उम्मीदवारों के इस्तेमाल के दो मामले सामने आए। जहां एक मामले में, प्रॉक्सी उम्मीदवार राज्य में ही परीक्षा में शामिल हुआ, तो वहीं दूसरे मामले में आरोपी नवी मुंबई में परीक्षा देने गया। दोनों मामले NEET-UG परीक्षा के एक दिन बाद 6 मई को सामने आए।
कैसे की धोखाधड़ी?
एक सरकारी कॉलेज में MBBS फर्स्ट ईयर के छात्र भागीरथ राम विश्नोई ने पुलिस को बताया कि उसने अपने छोटे भाई की जगह परीक्षा देने के लिए उसके आधार कार्ड में एडिटिंग कर अपना फोटो लगाया और परीक्षा देने चला गया।
राजस्थान में प्रश्न पत्र विवाद
राजस्थान में एक NEET परीक्षा केंद्र पर गलत प्रश्न पत्र देने पर भी विवाद हुआ था, जिसके कारण 5 मई को कुछ उम्मीदवार पेपर लेकर बाहर चले गए थे। बाद में केंद्र में 120 प्रभावित उम्मीदवारों के लिए NEET परीक्षा दोबारा आयोजित की गई थी। एजेंसी ने दावा करते हुए कहा था कि परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया गया है। एनटीए सूत्रों के अनुसार, कुछ उम्मीदवारों को उनकी पसंद के अलावा दूसरी भाषाओं में प्रश्न पत्र दिए गए, जिसके कारण उन्हें सेंटर से बाहर जाना पड़ा।
गोधरा के प्रिंसिपल और टीचर
गुजरात पुलिस ने NEET-UG परीक्षा में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में गोधरा के एक स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। उन्होंने कथित तौर पर हर एक से 10 लाख रुपए की रकम के लिए 27 उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा पास करने में मदद करने की कोशिश की
कैसे की धोखाधड़ी?
वडोदरा के शिक्षा सलाहकार परसुराम रॉय, ने कथित तौर पर अपने छात्रों से गोधरा सेंटर चुनने के लिए कहा था, ताकि तुषार भट्ट, स्कूल प्रिंसिपल परषोत्तम शर्मा और दूसरे उनकी मदद कर सकें। FIR के अनुसार, आरोपियों ने अभ्यर्थियों से कहा कि वे उन सवालों को हल करें, जिनके जवाब उन्हें आते हैं और बाकी को खाली छोड़ दें, जिन्हें परीक्षा के बाद पेपर लिए जाने पर भरा जाएगा।
पुलिस अधीक्षक हिमांशु सोलंकी ने कहा, “रॉय ने छात्रों से मुश्किल सवालों को छोड़ने के लिए कहा था। योजना के अनुसार, भट्ट केंद्र पर्यवेक्षकों को पेपर पैक करने के लिए दिए गए 30 मिनट के दौरान उनकी OMR शीट पर सही जवाबों पर निशान लगाएगा। भट्ट ने आमतौर पर ऐसी परीक्षाओं के तुरंत बाद कोचिंग सेंटरों की तरफ से ऑनलाइन अपलोड किए जाने वाले हल किए गए पेपरों की मदद लेने की योजना बनाई थी।”
सूत्रों के अनुसार, 27 छात्रों में से, जिन्होंने या तो एडवांस पेमेंट किया था या रॉय और अन्य को पैसे देने पर सहमति जताई थी, केवल तीन ही परीक्षा पास कर पाए।
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