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केंद्र सरकार ने सिविल सर्विस ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से बर्खास्त कर दिया है। News18 ने सूत्रों के हवाले से बताया, “6 सितंबर, 2024 के आदेश के तहत केंद्र सरकार ने सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर, IAS प्रोबेशनर (MH:2023) को IAS (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से तत्काल प्रभाव से डिस्चार्ज कर दिया।
सरकार का यह आदेश संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की ओर से जुलाई में ट्रेनी अधिकारी के खिलाफ फर्जी पहचान दिखाकर सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने का मामला दर्ज करने के बाद आया है।
UPSC ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें आयोग की सभी भविष्य की परीक्षाओं और सिलेक्शन में शामिल होने से हमेशा के लिए बैन कर दिया।
UPSC ने क्या कहा?
UPSC ने कहा कि उन्हें “सिविल सेवा परीक्षा-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी” पाया गया।
आयोगी ने कहा, “UPSC ने सिविल सर्विस परीक्षा के लिए अनंतिम रूप से प्रोवीजनली कैंडिडेट सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के दुर्व्यवहार की विस्तृत और गहन जांच की है। जांच से यह पता चला है कि उन्होंने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर और अपनी पहचान बदलकर धोखाधड़ी से परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से ज्यादा प्रयास किए।
दिल्ली पुलिस ने IPC, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक FIR भी दर्ज की थी।
क्या था पूरा मामला?
महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी खेडकर पर जाति और मेडिकल सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है।
34 साल की IAS अधिकारी ने एक अलग ऑफिस, स्टाफ और क्वार्टर की अपनी कथित मांगों को लेकर सुर्खियां बटोरीं, जो कि एक ट्रेनी अधिकारी मिलती ही नहीं हैं।
पुणे पुलिस उन आरोपों की जांच कर रही है कि उन्होंने अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर लाल बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का प्रतीक चिन्ह इस्तेमाल किया था।
इन आरोपों के बीच कि उन्होंने खुद को गलत तरीके से फिजिकल हैंडीकैप दिखाया, उन्हें पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया। उन पर UPSC में OBC और नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का लाभ उठाने का भी आरोप लगाया गया था।
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