RBI घरेलू म्चूचुअल फंडों के विदेश में निवेश करने की लिमिट बढ़ा सकता है, जानिए इसकी वजह – rbi may hike foreign investment limit for domestic mutual funds know its reasons

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इंडियन म्यूचुअल फंडों के विदेशी सिक्योरिटीज में निवेश पर 1 फरवरी, 2022 को तब ब्रेक लग गया, जब यह 7 अरब डॉलर की लिमिट तक पहुंच गया। यह लिमिट 2008 में तय की गई थी। 2 अगस्त को इंडिया का विदेशी मुद्रा भंडार 675 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। यह 28 जनवरी, 2022 को 634 अरब डॉलर था। सवाल है कि क्या विदेशी मुद्रा भंडार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाने के बाद आरबीआई म्यूचुअल फंडों के विदेश में निवेश की लिमिट बढ़ाएगा?

अभी म्यूचुअल फंडों का विदेश में 75,000 करोड़ रुपये निवेश

अभी इंडियन म्यूचुअल फंडों का विदेश के फंड्स फंड्स, डायरेक्ट इक्विटीज, इंटरनेशनल ईटीएफ और डोमेस्टिक इक्विटी स्कीम्स में करीब 75,000 करोड़ रुपये का निवेश है। हाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने विदेशी मुद्रा भंडार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाने का उल्लेख किया। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय बैंक 64 लाख करोड़ रुपये की इंडियन म्यूचुअल फंड इडस्ट्री के लिए विदेश में निवेश की लिमिट बढ़ा सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत भी कमोबेश स्थिर है।

टैक्स के नियमों में बदलाव के बाद विदेश में निवेश का आकर्षण बढ़ा

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश यूनियन बजट में विदेश में फंड्स ऑफ फंड्स में निवेश पर टैक्स के नियमों में राहत दी है। इसके मुताबिक, विदेश में फंड्स ऑफ फंड्स में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (24 महीनों के बाद) पर 12.5 फीसदी टैक्स का ऐलान किया। सरकार ने बजट 2023 में इस पर मार्जिनल टैक्स रेट लगाने का ऐलान किया था। कैपिटल लीग के पार्टनर राजुल कोठारी ने कहा कि यह आरबीआई के लिए इंटरनेशनल फंडों में निवेश की लिमिट बढ़ाने का सही समय है।

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आरबीआई इन वजहों से बढ़ा सकता है लिमिट

क्वांटम एएमसी के सीनियर फंड मैनेजर पंकज पाठक का भी मानना है कि आरबीआई को अब विदेश में निवेश में दिलचस्पी रखने वाले घरेलू म्यूचुअल फंडों को नियमों में ढील देना चाहिए। अभी इंडियन इकोनॉमी की वित्तीय सेहत अच्छी है। करेंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 1 फीसदी से नीचे आ गया है। विदेश से अच्छा संस्थागत निवेश हो रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कमोबेश स्थिर है।

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