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एक बहुत बड़ा वॉलेट घोटाला सामने आया है, जिसमें गुरुग्राम की एक कंपनी ने लोगों से 5,000 करोड़ रुपए की ठगी की है। CNN-News18 की ओर से टॉकचार्ज नाम की कंपनी के खिलाफ की गई जांच में पता चला कि कैशबैक के नाम पर यूजर्स को कुछ ही महीनों में चौंका देने वाला रिटर्न ऑफर किया जा रहा था। पीड़ितों का आरोप है कि ये 5000 करोड़ रुपए का घोटाला है। कंपनी अप्रैल 2024 में बंद हो गई थी।
टॉकचार्ज कंपनी अंकुश कटियार नाम के एक शख्स ने गुरुग्राम में बनाई थी। CNN-News18 ने पोंजी स्कीम के पीड़ितों से बात की। पीड़ितों में से एक, राजस्थान के दौसा के रामअवतार शर्मा ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी मेहनत की कमाई और उनकी सारी बचत लूट ली जाएगी।
ऐप में उनका विश्वास ऐसा था कि उन्हें केवल प्रॉफिट की ही उम्मीद थी, नुकसान की नहीं। उन्होंने कहा कि ऐप में पैसा लगाने के लिए उन्होंने बैंकों से कर्ज भी लिया, और कहा कि उन्हें अब ‘मरने’ जैसा महसूस हो रहा है।
माना जाता है कि निवेश को कई गुना बढ़ाने का वादा करने वाले ऐप ने देश भर में सैकड़ों लोगों को ठगा है। इसकी बेहद खराब रेटिंग के बावजूद इसके लगभग 20 लाख डाउनलोड होने का दावा किया गया है, जो कि ये नंबर खुद ही इस पर शक पैदा कर रहा था।
टॉकचार्ज ने कैसे यूजर्स को लुभाया और फिर फंसाया
टॉकचार्ज को शुरुआत में प्रीपेड पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के रूप में लॉन्च किया गया था। इसने यूजर्स को आकर्षक कैशबैक ऑफर का वादा किया, जिससे कई लोग पैसा लगाने के लिए आकर्षित हुए, जैसे कि 4,999 रुपए की जमा राशि पर 1,666 रुपए का कैशबैक, टॉकचार्ज वॉलेट में सिर्फ 59,999 रुपये जमा करने पर बैंक अकाउंट में 7,50,000 रुपए का भारी कैशबैक ऑफर।
पीड़ित अब कहते हैं कि टॉकचार्ज पर भरोसा करना उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी। 2017 में ग्राहकों के लिए कई ई-वॉलेट ऑप्शन मैजूद थे और टॉकचार्ज ने मार्केट स्टैंडर्ड से ज्यादा कैशबैक ऑफर देकर सबको हैरान कर दिया।
इतना ही नहीं कंपनी कोविड काल में भी बची रही। 2023 तक सब कुछ ठीक रहा, जब कंपनी ने कुछ बड़े मनी ऑफर लॉन्च किए। एक बार जब यूजर का विश्वास जीत लिया, तो उन्हें ज्यादा निवेश करने के लिए लुभाना आसान हो गया।
2023 से शुरू हुआ पूरा खेल
जुलाई 2023 में कंपनी ने 20 प्रतिशत सर्विस चार्ज वसूलना शुरू किया, जो कई मायनों में असामान्य था। अगस्त 2023 में, कंपनी ने 20 प्रतिशत सर्विस चार्ज से छुटकारा पाने और पैसा निकालने को आसान बनाने के लिए 1,49,999 रुपए के टैग के साथ एक प्रोमो कोड ‘नो फीस’ लॉन्च किया और फिर, जनवरी 2024 में, धोखाधड़ी वाले लेनदेन शुरू हो गए।
ग्राहकों ने कहा कि वेंडर को किया गया पेमेंट सफल रहा, लेकिन बिलर को पैसा नहीं मिला। मार्च 2024 में, एप्लिकेशन पर विड्रॉल और सर्विस पूरी तरह से बंद हो गईं।
शर्मा ने कहा, “मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों का पैसा मिल कर कुल वॉलेट बैलेंस 1.19 करोड़ रुपये था। अगर मुझे ये पैसे वापस नहीं मिले तो मुझे बहुत बड़ी मुश्किलों करना पड़ेगा। मेरे चार बच्चे हैं, बूढ़े माता-पिता, एक छोटा भाई। मैं परिवार में अकेला कमाने वाला हूं। मैं अपनी EMI भी नहीं दे पा रहा हूं, इसलिए बैंकों ने भी मुझे फोन करना शुरू कर दिया है।”
ये ऐप हर तरह लोगों को ठगने में कामयाब रहा है। राजस्थान में एक छोटी सी दुकान के मालिक से लेकर एक मल्टी नेशनल कंपनी के CFO तक, सभी जल्दी पैसा कमाने के लालच में फंस गए। जांच के दौरान, CNN-News18 800 से ज्यादा पीड़ितों से संपर्क करने में कामयाब रहा।
को-फाउंडर शिवानी माहेश्वरी पर उठ रहे सवाल
एक और पीड़ित अभिषेक मणि ने कहा, “इस घोटाले के मास्टरमाइंड यूजर्स को ठगने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। इस ऐप की को-फाउंडर शिवानी माहेश्वरी कई नए स्टार्टअप की वेंचर कैपिटलिस्ट हैं।”
उन्होंने कहा, अगर आप उसके बारे में पढ़ेंगे, तो उसने टॉकचार्ज से पहले कभी किसी कंपनी में काम नहीं किया है। तो किस आधार पर वह स्टार्टअप्स में करोड़ों का निवेश करने में कामयाब रही।”
पूरे भारत में टॉकचार्ज के प्रमोटरों के खिलाफ कई शिकायतें और FIR दर्ज हैं। CNN-News18 गुरुग्राम पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज एक FIR की कॉपी एक्सेस करने में कामयाब रहा।
FIR के अनुसार, सिर्फ अंकुश कटियार ही नहीं, बल्कि को-फाउंडर शिवानी माहेश्वरी और टॉकचार्ज के कुछ कर्मचारियों की भी जांच की जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने कटियार को दिल्ली से किया गिरफ्तार
रिटायर IRS अधिकारी अनिल रावत ने कहा, “शुरुआत में, वे किसी भी दूसरे वॉलेट ऐप की तरह एक बिजनेस मॉडल पेश कर रहे थे, लेकिन बाद में जब उन्होंने डिपॉजिट के बदले ऑफर देना शुरू किया, तो यहीं से चीजें गलत होने लगीं। वो स्कीम फर्जी ही थी, क्योंकि 5,000 रुपए की जमा राशि पर, वे 50 प्रतिशत कैशबैक की पेशकश कर रहे थे, जो व्यावहारिक नहीं था।”
जब CNN-News18 ने अपनी जांच शुरू की, तो अंकुश कटियार बड़े पैमाने पर था। पीड़ितों के दबाव के बाद और गुरुग्राम पुलिस की जांच के बीच 4 सितंबर को कटियार को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में गिरफ्तार कर लिया।
कटियार और दूसरों पर IPC की धारा 120-B, 420 और हरियाणा वित्तीय प्रतिष्ठान में जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2013 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
RBI, SEBI, इनकम टैक्स और GST विभाग के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन इनमें से किसी भी प्राधिकरण से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
लेकिन इस घोटाले ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या हमारे पास पर्याप्त रेगुलेटर तंत्र हैं? क्या एजेंसियां कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में सक्षम हैं?
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