[ad_1]
Tomato Price: हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में देर से हुई बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान के चलते राष्ट्रीय राजधानी में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में आम उपभोक्ताओं को टमाटर जैसी रोजमर्रा की चीजें दोगुनी कीमत पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। थोक बाजारों में दुकानदारों ने बताया कि खासतौर पर आलू, प्याज और टमाटर जैसी रसोई की मुख्य वस्तुओं के साथ ही फूलगोभी, पत्तागोभी और लौकी जैसी हरी सब्जियों के दामों में उछाल आया है।
आजादपुर सब्जी मंडी के एक व्यापारी संजय भगत ने बताया कि फिलहाल टमाटर का थोक भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम है। स्थानीय किस्म का टमाटर 1,200 रुपये प्रति 28 किलोग्राम (एक क्रेट) और हाइब्रिड किस्म का टमाटर 1,400 से 1,700 रुपये में बिक रहा है। पहले टमाटर का भाव 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम था। उन्होंने कहा कि थोक बाजार में अन्य सब्जियों की कीमत करीब 25 से 28 रुपये प्रति किलोग्राम है। जो सब्जियां 10 से 15 रुपये में बिकती थीं, वे अब 25 से 30 रुपये में मिल रही हैं। बीन्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही हैं। इस साल तेज गर्मी और बारिश में देरी के कारण कीमतों में उछाल आया है।
भगत ने कहा कि ज्यादातर आपूर्तिकर्ता हिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार गर्मी बहुत थी और बारिश बहुत कम हुई। इससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्रमित हो गए। उन्होंने कहा कि सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा।
ओखला सब्जी मंडी के एक व्यापारी ने कहा कि अभी केवल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है – कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश। महाराष्ट्र से 10-15 अगस्त के आसपास नई फसल आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी। दिल्ली में कई लोगों ने माना कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है। महरौली सब्जी मंडी में दीपक ने कहा कि पहले 200 से 300 रुपये में हम पूरे हफ्ते की सब्जियां खरीद लेते थे, लेकिन अब यह दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाती हैं। रसोई का बजट संभालना मुश्किल हो गया है। दूसरी ओर, कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद कई रेस्तरां कीमतों में बदलाव करने से बच रहे हैं।
कनॉट प्लेस में जेन रेस्तरां के मालिक और नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मानद कोषाध्यक्ष मनप्रीत सिंह ने कहा कि ज्यादातर रेस्तरां में निश्चित मेनू होते हैं, और उनके पास नियमित ग्राहक होते हैं, इसलिए वे आपूर्तिकर्ताओं की तरह कीमतों में उतार-चढ़ाव नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इससे हमारे मार्जिन पर दबाव पड़ता है। हम अपनी कीमतों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कभी-कभी हमें अप्रत्याशित लागत वृद्धि के कारण ऐसा करने को मजबूर होना पड़ता है।
कब कम होगी टमाटर की कीमत?
राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर की रिटेल कीमत 75 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। एक सरकारी अधिकारी ने शनिवार को कहा कि दक्षिणी राज्यों से आपूर्ति बढ़ने से आने वाले हफ्तों में इसमें नरमी आने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा कि आपूर्ति में बाधा के कारण बढ़ीं टमाटर और प्याज की कीमतों के जल्द स्थिर होने की उम्मीद है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि दिल्ली और कुछ अन्य शहरों में टमाटर, आलू और प्याज की कीमतें बहुत ज़्यादा हैं। भीषण गर्मी और उसके बाद भारी बारिश के कारण आपूर्ति बाधित हुई, जिससे रिटेल कीमतों में उछाल आया।”
उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली में टमाटर की कीमत 75 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, लेकिन अगर भारी बारिश से आपूर्ति श्रृंखला बाधित नहीं होती है तो इसमें कमी आ सकती है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 12 जुलाई को दिल्ली में टमाटर का रिटेल मूल्य 75 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में मूल्य 150 रुपये प्रति किलोग्राम था। टमाटर का अखिल भारतीय औसत रिटेल मूल्य 12 जुलाई को 65.21 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जबकि पिछले साल यह 53.36 रुपये प्रति किलोग्राम था। फिलहाल दिल्ली को हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से टमाटर की आपूर्ति हो रही है।
अधिकारी ने कहा कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से हाइब्रिड टमाटर राष्ट्रीय राजधानी में पहुंचने के साथ ही कीमतों में नरमी आने लगेगी। सरकार सब्सिडी वाले टमाटर की बिक्री को फिर से शुरू करने की योजना नहीं बना रही है। यह उपाय पिछले साल तब लागू किया गया था जब कीमत 110 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई थी। अधिकारी ने भरोसा जताया कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से आपूर्ति में सुधार होने पर एक से दो सप्ताह के भीतर कीमतें सामान्य हो जाएंगी।
[ad_2]
Source link