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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी और दूसरे विपक्षी नेताओं की आलोचना की, जिन्होंने संसद से “सेंगोल” को हटाने की अपील की। हालांकि, भगवा पार्टी ने इस विचार को खारिज कर दिया कि पारंपरिक राजदंड राजशाही का प्रतीक है। ये विवाद तब शुरू हुआ जब समाजवादी सांसद आरके चौधरी ने “सेंगोल” को लोकतांत्रिक देश में राजशाही का कालजयी प्रतीक बताते हुए लोकसभा से हटाने की मांग की।
‘सेंगोल’ तमिल शब्द “सेम्माई” से निकला है, मतलबा धार्मिकता है। एक आधिकारिक दस्तावेज में राजदंड को आजादी का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक बताया गया है, जो ब्रिटिश से भारतीयों को सत्ता के सौंपने का प्रतीक है। इसकी लंबाई पांच फीट है और इसके ऊपर भगवान शिव का पवित्र बैल नंदी है।
‘बार-बार बेइज्जती करने पर तुले…’
चौधरी ने पहले कहा था कि “सेंगोल” की जगह संसद में संविधान लगाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को एक पत्र भी सौंपा, जिसमें स्पीकर की कुर्सी के बगल में “सेंगोल” रेख जाने पर सवाल भी उठाया गया।
उन्होंने कहा था, “आज, मैंने इस माननीय सदन में शपथ ली कि मैं कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा।”
BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे बताएं कि जो पार्टी भाई-भतीजावाद का प्रतीक है, वो फिर से भारतीय संस्कृति, तमिल संस्कृति के ऐसे अभिन्न अंग का अपमान करने पर तुली हुई है। अगर ये राजशाही का प्रतीक था, तो पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे क्यों स्वीकार किया, क्या वो उस प्रतीक और राजशाही को स्वीकार कर रहे थे।”
चिराग पासवान भी कूद पड़े
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने कहा, “यह मेरी समझ से परे है कि आपके इलाके की जनता ने आपको विकास कार्यों के लिए चुना है या यहां आकर ऐसी विवादित राजनीति करने के लिए। जिस तरह से इतने दशकों से ऐसे प्रतीकों को गलत तरीके में दिखाने की कोशिश की गई है, आज जब हमारे प्रधानमंत्री ने उन्हें उचित सम्मान दिया है, तो आप इन सब चीजों से नाराज क्यों हैं? ये विपक्षी नेता सकारात्मक राजनीति के बारे में क्यों नहीं सोच सकते?”
इस बीच, कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा, “सरकार हमेशा सेंगोल को रखकर इस तरह का खेल खेलती रही है। नई संसद का उद्घाटन होने पर हाई ड्रामा करना। ये समाजवादी पार्टी के सहयोगी का एक अच्छा सुझाव है।”
DMK के टीकेएस एलंगोवन ने CNN-News18 को बताया कि “हम एसपी से सहमत हैं कि सेंगोल को हटाया जाना चाहिए। सेनगोल राजशाही का प्रतीक है और संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करने और नई सरकार की प्राथमिकताओं को बताने के लिए संसद पहुंचीं। इस दौरान एक शख्श उनके आगे हाथों में सेंगोल लेकर आया।
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