Paralympics 2024: अयोग्य घोषित होने पर रो रहे ईरानी एथलीट को नवदीप ने दी सांत्वना, जानें सिल्वर मेडल कैसे गोल्ड में बदल गया – paris paralympics 2024 navdeep singh consoled and motivated tearful iran athlete post disqualification see what he said

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Paris Paralympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को अयोग्य घोषित किए जाने की घटना का सामना करना पड़ा था। सिल्वर मेडल जीतने वाली विनेश फोगट को फाइनल से ठीक पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पेरिस पैरालंपिक खेलों में भी भारत का यही हश्र हुआ। लेकिन इस बार फर्क यह रहा कि यह भारत के लिए एक वरदान की तरह साबित हुआ। पुरुषों की भाला फेंक F41 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने वाले नवदीप सिंह का पदक गोल्ड में बदल गया है। फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारत के नवदीप के सिल्वर को गोल्ड मेडल में बदल दिया गया है।

इस इवेंट में नवदीप ने 47.32 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था। जबकि ईरान के सादेघ ने 47.64 मीटर के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया था। हालांकि, धार्मिक प्रकृति का प्रतीत होने वाले आपत्तिजनक ध्वज को बार-बार प्रदर्शित करने के कारण सादेघ को अयोग्य घोषित कर दिया गया। जिसके बाद नवदीप का सिल्वर मेडल अब गोल्ड में तब्दील हो गया है।

यह पुरुषों की भाला F41 कैटेगरी में भारत का पहला गोल्ड मेडल है। नवदीप का पहला प्रयास फाउल रहा। लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर के थ्रो के साथ शानदार वापसी की। तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले नवदीप के तीसरे थ्रो ने स्टेडियम को रोमांचित कर दिया। उन्होंने 47.32 मीटर के विशाल थ्रो के साथ पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया और बढ़त बना ली। सादेघ ने हालांकि अपने पांचवें प्रयास में भारतीय खिलाड़ी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 47.64 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया।

फाइनल की समाप्ति के कुछ समय बाद ईरान के खिलाड़ी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिसके कारण नवदीप ने शीर्ष स्थान हासिल किया। सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। वह अपनी हरकतों से गोल्ड मेडल गवां बैठे। अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियम एथलीटों को आयोजन में कोई भी राजनीतिक संकेत देने से रोकते हैं। सयाह को गैर-खेल/अनुचित आचरण के लिए अंतिम परिणामों से बाहर कर दिया गया था। F41 कैटेगरी छोटे कद के एथलीटों के लिए है।

ईरानी एथलीट को दी सांत्वना

भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में नवदीप से जैवलिन फाइनल के समापन के बाद हुई घटनाओं के बारे में पूछा गया। हरियाणा के 23 वर्षीय पैराएथलीट ने कहा कि वह शुरुआत में अयोग्य घोषित किए जाने के बारे में अन्य लोगों की तरह ही भ्रमित थे। उन्हें लगा कि ईरानी खिलाड़ी द्वारा पहने गए “ऊपरी हिस्से” के कारण ऐसा हुआ। उन्होंने कहा, “हम तीनों एक साथ बैठे थे। हम सम्मान समारोह का इंतजार कर रहे थे। थोड़ी देर बाद एक अधिकारी कमरे में आया और ईरान के एथलीट को रेड कार्ड दिखाया। मुझे नहीं पता था कि उसे रेड कार्ड क्यों दिखाया गया। मुझे लगा कि उसे कुछ गलत काम करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है, जो नियमों के विरुद्ध था।”

जब कमरे में माहौल के बारे में पूछा गया तो नवदीप ने बताया, “मुझे भी नहीं पता था कि उसे अयोग्य क्यों घोषित किया जा रहा है। मुझे लगा कि उसे गलत ऊपरी कपड़ा पहनने के कारण अयोग्य घोषित किया गया था, जो उसके देश का नहीं था। इसलिए मुझे शुरू में लगा कि उसके अयोग्य घोषित होने के पीछे यही कारण है।”

नवदीप ने बताया कि ईरानी एथलीट पूरी तरह सदमे में चला गया। अपने आप को अयोग्य घोषित होने की खबर सुनकर वह तुरंत रो पड़ा। इसके बाद भारतीय एथलीट ने उसे गले लगाया और दिलासा देने की कोशिश की। उन्होंने कहा मुझे नहीं पता था कि क्या हुआ था, लेकिन मैंने उसे गले लगाया और उसे सांत्वना देने की कोशिश की।

सिंह ने कहा कि मैंने यह जानने की कोशिश की कि आखिर क्या गलत हुआ। लेकिन वह अपनी मूल भाषा में बोल रहा था, जो मुझे समझ में नहीं आया। अधिकारी ने बताया कि हम अपना निर्णय नहीं बदल सकते। इस तरह की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जिसके बाद मैंने उसे प्रेरित करने और सांत्वना देने की कोशिश की।

भारत का शानदार प्रदर्शन

दिव्यांग लेकिन असाधारण रूप से दृढ़ भारत के पैरा एथलीट को अपने पैरालंपिक अभियान पर गर्व महसूस होगा। इस साल अधिकांश स्थापित नाम उम्मीदों पर खरे उतरे और कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपने ही रिकॉर्ड तोड़ 29 पदक जीतकर बड़े मंच पर अपनी जगह बनाई।

भारत ने कुल 29 पदक जीते जिसमें से सात गोल्ड हैं जो देश के लिए पहली बार हुआ है। भारत ने 2016 के चरण में ही अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू की थी जिसमें देश के पैरा एथलीट चार पदक जीत सके थे। इसके बाद उनका प्रदर्शन शानदार होता चला गया जिससे टोक्यो में पैरा खिलाड़ियों ने 19 पदक जीते।

पांच खेलों में कुल 29 पदकों से केवल ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में ही 17 पदक मिले जिसने सुनिश्चित किया कि देश इन खेलों में शीर्ष 20 में शामिल रहा। पैरालंपिक में एक बार फिर चीन का दबदबा रहा जिसने 200 से ज्यादा मेडल जीते। भारत अब भी ओलंपिक स्तर पर एक ताकत बनने से बहुत दूर है। लेकिन देश निश्चित रूप से दिव्यांगों की प्रतियोगिता में एक ताकत के रूप में उभरा है।



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