RBI MPC Minutes: फूड इनफ्लेशन की वजह से महंगाई घटने की रफ्तार सुस्त

[ad_1]

रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के ज्यादातर सदस्यों ने फूड इनफ्लेशन को लेकर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि फूड इनफ्लेशन की वजह से डिसइनफ्लेशन हो रहा है यानी इससे महंगाई घटने की रफ्तार सुस्त हो रही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘महंगाई घटने की सुस्त रफ्तार की मुख्य वजह फूड इनफ्लेशन है। सप्लाई साइड की तरफ से बार-बार मिल रहे झटकों का असर भी फूड इनफ्लेशन पर देखने को मिल रहा है।’ इसके अलावा, राजीव रंजन का कहना था कि कोर इनफ्लेशन में गिरावट हुई है, लेकिन फूड इनफ्लेशन से जुड़े जोखिम कायम हैं।

मई में खुदरा महंगाई दर (रिटेल इनफ्लेशन) घटकर 4.75 पर्सेंट पर पहुंच गई थी, जो अप्रैल में 4.83 पर्सेंट थी। कोर इनफ्लेशन अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 3 पर्सेंट पर पहुंच गया है। इसमें फूड और फ्यूल जैसे उतार-चढ़ाव वाले कंपोनेंट्स शामिल नहीं हैं। हालांकि, कंज्यूमर प्राइस फूड इंडेक्स (CPFI) तकरीबन फ्लैट यानी 8.69 पर्सेंट रहा, जबकि एक महीना पहले 8.7 पर्सेंट था।

रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने हालिया पॉलिसी रिव्यू में वित्त वर्ष 2025 के लिए इनफ्लेशन 4.5 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया है। हालांकि, उसका कहना है कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों के मोर्चे पर मुश्किल जारी रहेगी। मई में सब्जियों की कीमत मामूली गिरावट के साथ 27.33 पर्सेंट रही, जबकि एक महीना पहले यह आंकड़ा 27.80 था। इसके अलावा, दालों की कीमतों में पिछले महीने के मुकाबले मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली। मांस-मछली की कीमतों में पिछले महीने 7.28 पर्सेंट की गिरावट रही, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 8.17 पर्सेंट था।

रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर माइकल देबब्रत का कहना था कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लंबे समय से तेजी देखने को मिल रही है और यह इनफ्लेशन को कम करने में सबसे बड़ी बाधा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में समय-समय पर खाद्य पदार्थों की कीमतों चुनौती पैदा करती हैं। उन्होंने कहा, ‘खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों की वजह से मॉनिटरी पॉलिसी में बदलाव नहीं हो पा रहा है।’

[ad_2]

Source link

Leave a Comment